Dusri shvet kraanti

दूसरी श्वेत क्रांति

भारत भूमि रही है। प्राय: लोग क्रांति का अलग अर्थ लगाते हैं और क्रांति को खूनी जमा पहना देते हैं। लेकिन क्रांति का सही अर्थ तो आमूलचूल परिवर्तन होता है। हमारे हिन्दुसतान में कभी घी-दूध की नदियाँ खूब बहीं फिर किसी अगस्त्य ने इन्हें पी लिया और ये सबकी सब अचानक सूखी रेत की स्वमिनी भर रह गईं। एक युग बीत गया एनमें रेत की सफ़ेदी के अलावा कुछ नहीं आया।
आजादी के बाद हमारे देश में श्वेत व हरित क्रांति के प्रणेताओं, अगुआओं ने दूध-घी की ये नदियाँ फिर से प्रवाहित कर दीं। इन्हीं के चलते अब हमें विकसित राष्ट्रों की ओर प्पीहे की त्रह सदा मुँह