अनाघ्रात पुष्प का सौंदर्य

 

देखकर ननहीं-ननहीं
खटरुस अमियां
मुँह में भर आया पानी
जमींदार की बाग में
चलाही दी  डिमकिया/न दनादन

 

दे दीं चपाचप
दो चमकियाँ
खींच दिए कान
माँ मन मसोस रे रह गई
ऊपर से धमकाता भी गया
इस छटंकी को भी
सिखा रही है
चोरी-चमारी
अपने जैसे बनाएगी तू इसे
जा-जा भागती चली जा
नाक की सीध में
वरना तुझे भी दूँगा
मनता बिफर ही पड़ी थी उसपल
तूक्या देगा तेरा भगवान ही देगा तुझे
बच्चा अब तक सहला रहा है