पहेलियाँ
(1)
तोते को मैं प्यारी लगती
और सभी को लगती
रखते मेरा नाम जीभ पे
सौतन-दुनिया जलती
हरी,लाल के जोड़ विशेषण,
बनता सुंदर नाम
मेरे बिना रसोई कच्ची
सब्जी है बेकाम ।
अब तो यार! बताओ नाम।
(2)
आँख दिखाऊँ, आँख दिखाता
मुँह बिचकाऊँ, मुँह बिचकाता
सबकी नज़रें तोले डूब,
गूँगा है पर बोले खूब।
रूप दिखाए बिल्कुल सच्चा
निंदक इससे मिला न अच्छा।
अजब-गज़ब ये जिसके काम,
बच्चों! बताओ उसका नाम।
(3)
सारी बातें सुनकर सबकी,
पूरी चुगली खाता
फिर भी इस के बिना हमारा
काम नहीं चल पाता।
दुनिया भर से तार जुड़े हैं
बिना तार भी जाता।
भले हमारी जेब काटता
टूट न पाता ।।
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बाल कविताएं
जग से न्यारे दादा-दादी
जो भी माँगूँ उसे दिलाते
बड़े प्यार से बैठ खिलाते
पलकों पर हैं सदा बिठाते
मेरे प्यारे दादा-दादी।
कभी नाक के बाल उखाड़ें
कभी धड़ाधड़ थप्पड़ झाड़ें
कभी शर्ट की बटनें खोलें
हाथ डाल के जेब टटोलें
फिर भी खुश हैं दादा-दादी।
मेरे प्यारे दादा-दादी।
जब मम्मी मुझे सताती
दौड़ के दादी आगे आती
उनको जबरन पीछे करके
आँचल में है मुझे छिपाती।
मेरे प्यारे दादा-दादी।
इस दुनिया में जब तक वे हैं
हम बच्चों के बड़े मजे हैं
साथ हमारे ईश्वर! रखना
सौ वर्षों तक दादा-दादी।
ममता वाली साड़ी खादी।
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मेरी प्यारी-प्यारी नानी
मेरी मम्मी की, मम्मी की
है कुछ अजब कहानी
किसी बात पर चिढ़ जाएं ,
तो,याद करा दें नानी।
मेरी प्यारी-प्यारी नानी।
संकेतों से पास बुला के
बिना बात की बात बना के
थपकी दे-दे रोज़ सुनाएं
लोरी,कथा,कहानी।
मेरी प्यारी-प्यारी नानी।
उनको कोई बात बताना
भैंस के आगे बीन बजाना
किन्तु प्यार के दो बोलों से
हो जाएं पानी-पानी।
मेरी प्यारी-प्यारी नानी।
कभी लगें कविता की धारा
लगतीं कभी कहानी।
कभी-कभी चुटकुले सरीखी
फूटे मधुरिम बानी।
मेरी प्यारी-प्यारी नानी।
नानी के दो होंठ रसीले,
अमृत-से मधुमय औ गीले
बड़े प्यार से चुपके-चुपके
गालों पर लिख रहे कहानी।
मेरी प्यारी-प्यारी नानी।
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