सारे भेद भुलाती होली
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जाति, धर्म, भाषाएँ, बोली
सारे भेद भुलाती होली




रंग -बिरंगे कपड़े पहने
आती प्यार लुटाती होली


घर-आँगन बगिया बौराने
काम के बान चलाती होली



सारा रंग - भंग कर देती
जब-जब है फगुनाती होली



झोली भर-भर प्यार गुलाबी

जग को रही लुटाती होली



हर दिल के अंकुरित प्यार को

आती आग लगाती होली



मन का भारी मैल हटाके

दुश्मन, दोस्त बनाती होली



ले कर-कर में कुंकुम रोली
सबको गले लगाती होली



डॉक्टर गंगा प्रसाद शर्मा

स्नातकोत्तर शिक्षक ( हिंदी )