इम्तिहान के दिन जब आते
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पूरे साल मटरगस्ती कीधमाचौकड़ी औ मस्ती की
गृह कार्य या कक्षा कार्य
ऐच्छिक हो या अनिवार्य 
मानी नहीं किसी की शिक्षा
तभी है भारी पड़ी परीक्षा।

 

दादा-दादी, नाना-नानी
सबको पड़ती व्यथा सुनानी
चाहे जैसे इनको पढ़ते
सारे विषय कठिन है लगते।

 

इम्तिहान के दिन जब आते
सभी पुजारी हैं बन जाते
मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे  
लगते सभी जियावनहारे
प्रभु से माँग रहे सब भिक्षा
पास कराऔ कठिन परीक्षा। 

 

शिक्षिकाएँ औ शिक्षक सारे
पढ़ा-पढ़ा के जिनको हारे
कुछ होते हैं बहुत पढ़ाकू   
और शेष सब बड़े लड़ाकू
व्यर्थ गई सब जिनकी दीक्षा 
उनको भारी  पड़ी परीक्षा।

             

- गुणशेखर